Wheat crop: भारत में गेहूं एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। बढ़ती आबादी और बदलते मौसम के हालातों को देखते हुए, वैज्ञानिक लगातार ऐसी गेहूं की किस्में विकसित करने में जुटे हैं जो कम समय में अधिक उत्पादन दें और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी झेल सकें। इसी कड़ी में, हाल ही में देश के विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थानों ने 110 दिन में पकने वाली गेहूं की कई नई किस्में विकसित की हैं, जो किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी हैं।
नई किस्मों की विशेषताएं(Wheat crop)
इन नई किस्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये कम समय में पककर तैयार हो जाती हैं। इनमें से कुछ किस्में तो महज 110 दिनों में ही पक जाती हैं। इसके अलावा, ये किस्में गर्मी को सहन करने की क्षमता रखती हैं और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख किस्में हैं:
- HI-8663 (पोषण): यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाली है और ज्यादा उत्पादन देती है। यह गर्मी को सह सकती है और 120-130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
- पूसा तेजस: यह किस्म मध्य भारत के लिए विशेष रूप से विकसित की गई है। यह तीन-चार सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर में 55-75 क्विंटल तक उत्पादन देती है। इस किस्म से न केवल चपाती बनाई जा सकती है, बल्कि पास्ता, नूडल्स और मैकरॉनी जैसे अन्य खाद्य पदार्थ भी बनाए जा सकते हैं।
- पूसा उजाला: यह किस्म उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां सिंचाई की सुविधाएं सीमित हैं। यह एक-दो सिंचाई में ही 30 से 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है।
- J-W 3336: यह किस्म न्यूट्रीफार्म योजना के तहत विकसित की गई है। इसमें जिंक की प्रचुर मात्रा होती है और दो-तीन सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 50-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
किसानों के लिए फायदे (Wheat crop)
इन नई किस्मों से किसानों को कई तरह के फायदे होंगे। जैसे कि:
- कम समय में अधिक उत्पादन: ये किस्में कम समय में अधिक उत्पादन देती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- सूखा प्रतिरोध: ये किस्में सूखे के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं, जिससे कम पानी की स्थिति में भी किसान अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
- पोषक तत्वों से भरपूर: इन किस्मों में प्रोटीन, विटामिन, खनिज आदि पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- बाजार में अच्छी मांग: इन किस्मों की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण बाजार में इनकी अच्छी मांग रहती है।
चुनौतियां और समाधान (Wheat crop)
- बीज की उपलब्धता: अभी भी इन नई किस्मों के बीज की उपलब्धता सीमित है।
- किसानों को जागरूक करना: किसानों को इन नई किस्मों के फायदों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।
- कृषि विस्तार सेवाओं का अभाव: कई क्षेत्रों में कृषि विस्तार सेवाओं का अभाव है, जिससे किसानों को तकनीकी सहायता नहीं मिल पाती है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार को बीज उत्पादन को बढ़ावा देना होगा, किसानों को प्रशिक्षण देना होगा और कृषि विस्तार सेवाओं को मजबूत करना होगा।
निष्कर्ष
110 दिन में पकने वाली गेहूं की नई किस्में किसानों के लिए एक नई उम्मीद हैं। ये किस्में न केवल किसानों की आय बढ़ाएंगी, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेंगी। हालांकि, इन किस्मों को सफलतापूर्वक अपनाने के लिए सरकार और किसानों दोनों को मिलकर काम करना होगा।
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। किसी भी कृषि संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।
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