Animal Care in Winter: दुधारू पशु को जैसे ही कोई बीमारी लगती है तो सबसे पहले उसके दूध उत्पादन पर उसका असर दिखाई देने लगता है. इतना ही नहीं पशु की ग्रोथ भी रुक जाती है. और इस सब का खामियाजा पशुपालक को आर्थिक नुकसान के रूप में इसको उठाना पड़ता है. हालाँकि एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर समय रहते कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इस तरह की परेशानी और नुकसान से बचा जा सकता है.
गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी दूध देने वाले पशुओं को नवंबर में बेहद खास देखभाल की जरूरत होती है. मीट के लिए पाले जा रहे पशुओं में भी इस मौसम में बहुत ग्रोथ होती है. इसलिए ये जरूरी है कि सर्दियों के महीने में पशुओं की बेहद खास देखभाल की जाए. नवंबर की अगर बात करें तो इस मौसम में पशुओं के शेड में बहुत ही खास इंतजाम करने होते हैं. बिभिंन गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए खुरपका-मुंहपका आदि बीमारी से बचाने को टीके लगवाए जाते हैं. एनीमल एक्सपर्ट की अगर मानें तो इसी मौसम में पशुपालक पशुओं को गाभिन कराने के लिए भी प्लान करते हैं. मौसम बदलने के साथ ही पशुओं के बाड़े में बिभिंन तरह की बीमारियां भी आती हैं.
सर्दियों के मौसम की दस्तक के साथ ही कुछ ऐसी मौसमी बीमारियां भी पशुओं में देखने को मिलती हैं जो उनके लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं. इतना ही नहीं बीमारियां पशुओं के दूध उत्पादन और उनकी ग्रोथ (बढ़त) पर भी काफी असर डालती हैं. गर्मी में गाभिन हुए पशु इस दौरान बच्चा देने की हालत में होते हैं. और खास बात ये कि पशुओं की सबसे ज्यादा खरीद-फरोख्त भी अक्टूबर से लेकर नवंबर में ही होती है.
पशुओं के लिए करें ये 15 बेहद खास इंतजाम
पशुओं को खुरपका-मुंहपका बीमारी से बचाव का टीका लगवाएं.
सर्दी के मौसम में ज्यादातर भैंस हीट में आती हैं, उनको गाभिन कराएं.
भैंस को मुर्राह नस्ल के नर से अथबा नजदीकी केन्द्र पर कृत्रिम गर्भाधान कराएं.
भैंस बच्चा देने के 60-70 दिन बाद फिर से हीट में ना आए तो फौरन ही इसकी जांच कराएं.
गाय-भैंस को जल्दी हीट में लाने के लिए मिनरल मिक्चर भी जरूर खिलाएं.
सर्दी से बचाने के लिए अपने पशुओं के शेड को ठीक कर लें.
पशुओं का बिछौना सूखा होना चाहिए और प्रतिदिन बदला जाना चाहिए.
जई चारे की फसल की बिजाई नवंबर में ही पूरी कर लें.
बरसीम फसल में प्रत्येक 15-20 दिन बाद पानी लगाते रहें.
लूर्सन की बिजाई नवंबर के लास्ट तक पूरी कर लें.
पशुओं को बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए दवाई का छिड़काव कराएं.
दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए अच्छे डाक्टर की सलाह लें.
पशुओं को पेट के कीड़ों से बचाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर ही दवाई दें.
जई का अधिक चारा लेने के लिए ओएस 6, ओएल 9 एवं कैन्ट की बिजाई करें.
बछड़े को बैल बनाने के लिए छह महीने की उम्र मैं ही उसे बधिया करा दें.
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